शेयर बाजार में निवेश करने से पहले यह समझना जरूरी है कि किसी शेयर की कीमत कैसे बढ़ती या घटती है। कीमतों में उतार-चढ़ाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें आर्थिक नीतियां, कंपनी की परफॉर्मेंस, निवेशकों की धारणा और मार्केट ट्रेंड शामिल होते हैं। इस लेख में हम उन प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करेंगे जो किसी शेयर की कीमत को प्रभावित करते हैं और जिनके आधार पर आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि कीमत बढ़ेगी या गिरेगी।
1. फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis)
फंडामेंटल एनालिसिस से आप किसी कंपनी के वास्तविक मूल्य (Intrinsic Value) का मूल्यांकन कर सकते हैं। यह निम्नलिखित कारकों पर आधारित होता है:
(a) कंपनी की वित्तीय स्थिति (Financial Health)
किसी भी कंपनी का प्रदर्शन उसकी बैलेंस शीट, आय विवरण (Income Statement), और नकदी प्रवाह (Cash Flow Statement) से समझा जा सकता है।
राजस्व (Revenue): यह कंपनी की कुल कमाई को दर्शाता है। यदि किसी कंपनी का राजस्व लगातार बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
मुनाफा (Profit): शुद्ध लाभ (Net Profit) यह बताता है कि कंपनी अपने खर्चों को घटाने के बाद कितना कमा रही है।
ऋण (Debt): बहुत अधिक कर्ज किसी कंपनी के लिए जोखिम भरा हो सकता है। यदि कोई कंपनी अपने कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं है, तो उसके शेयर की कीमत गिर सकती है।
कैश फ्लो (Cash Flow): कंपनी के पास कितनी नकदी बची है, यह उसकी वित्तीय सेहत का महत्वपूर्ण संकेतक है।
(b) कमाई और लाभांश (Earnings & Dividends)
EPS (Earnings Per Share): यह प्रति शेयर आय को दर्शाता है। अगर EPS बढ़ रहा है, तो यह अच्छा संकेत हो सकता है।
P/E Ratio (Price to Earnings Ratio): यह बताता है कि निवेशक प्रति 1 रुपये की कमाई के लिए कितनी कीमत चुका रहे हैं। कम P/E अनुपात दर्शाता है कि स्टॉक का मूल्यांकन कम हो सकता है और इसमें वृद्धि की संभावना है।
Dividend Yield: अगर कोई कंपनी नियमित रूप से डिविडेंड देती है, तो यह निवेशकों के लिए एक अच्छा संकेत हो सकता है।
(c) कंपनी की ग्रोथ पोटेंशियल (Growth Potential)
उद्योग की स्थिति: अगर कंपनी जिस सेक्टर में काम कर रही है वह तेजी से बढ़ रहा है, तो कंपनी के शेयर की कीमत भी बढ़ सकती है।
प्रोडक्ट और सर्विसेज: यदि कंपनी नए और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स लॉन्च कर रही है, तो यह सकारात्मक संकेत हो सकता है।
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2. टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis)
टेक्निकल एनालिसिस में चार्ट पैटर्न, ट्रेंड और इंडिकेटर्स के आधार पर स्टॉक की कीमत का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

(a) ट्रेंड एनालिसिस (Trend Analysis)
- अपट्रेंड (Uptrend): जब शेयर की कीमत लगातार बढ़ रही हो।
- डाउनट्रेंड (Downtrend): जब कीमत लगातार गिर रही हो।
- साइडवेज ट्रेंड (Sideways Trend): जब स्टॉक की कीमत एक निश्चित दायरे में बनी रहती है।
(b) सपोर्ट और रेजिस्टेंस (Support & Resistance)
- सपोर्ट लेवल: वह स्तर जहां स्टॉक की कीमत नीचे जाने के बाद रुक सकती है और वापस ऊपर आ सकती है।
- रेजिस्टेंस लेवल: वह स्तर जहां स्टॉक की कीमत ऊपर जाने के बाद रुक सकती है और नीचे गिर सकती है।
(c) मूविंग एवरेज (Moving Averages)
SMA (Simple Moving Average): यह एक निश्चित समय के औसत मूल्य को दर्शाता है।
EMA (Exponential Moving Average): यह हाल की कीमतों को अधिक वेटेज देता है और तेजी से बदलती स्थिति को दर्शाता है।
(d) अन्य टेक्निकल इंडिकेटर्स
RSI (Relative Strength Index): यह बताता है कि स्टॉक ओवरबॉट (Overbought) या ओवरसोल्ड (Oversold) स्थिति में है।
MACD (Moving Average Convergence Divergence): यह ट्रेंड की ताकत और संभावित रिवर्सल पॉइंट्स को दर्शाता है।
बॉलींजर बैंड्स (Bollinger Bands): यह स्टॉक की वोलैटिलिटी को दिखाता है।
3. मार्केट सेंटीमेंट (Market Sentiment)
(a) निवेशकों की धारणा (Investor Sentiment)
यदि किसी कंपनी के बारे में सकारात्मक खबरें आ रही हैं, तो अधिक निवेशक उसमें निवेश कर सकते हैं, जिससे कीमत बढ़ेगी।
अगर कोई नकारात्मक खबरें (जैसे धोखाधड़ी, खराब तिमाही रिपोर्ट) आती हैं, तो स्टॉक की कीमत गिर सकती है।
(b) सोशल मीडिया और न्यूज का प्रभाव
आजकल शेयर बाजार सोशल मीडिया और न्यूज से बहुत प्रभावित होता है। यदि कोई शेयर ट्विटर, फोरम्स या न्यूज में चर्चा में आ जाता है, तो उसकी कीमत तेजी से ऊपर-नीचे हो सकती है।
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4. मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स (Macroeconomic Factors)
शेयर बाजार सिर्फ कंपनियों के प्रदर्शन पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों से भी प्रभावित होता है।
(a) ब्याज दरें (Interest Rates)
यदि केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाता है, तो लोन महंगा हो जाता है, जिससे कंपनियों की विकास दर पर असर पड़ सकता है और शेयर की कीमतें गिर सकती हैं।
(b) महंगाई (Inflation)
यदि महंगाई दर बढ़ती है, तो लोगों की क्रय शक्ति कम हो सकती है, जिससे कंपनियों की बिक्री और लाभ पर असर पड़ सकता है।
(c) सरकारी नीतियां और बजट
सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियां (जैसे टैक्स में छूट, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोज.